बेटी बचाओ
बेटा हो या बेटी ,है तो अपने आँगन का ही फूल , तो फिर आज के युग में बेटी का जन्म होने से पहले ही एक बेटी को माँ की कोख में ही मार दिया जाता है। उसे भी जीने का हक है। लोगो का मानना है कि जो मम्मी और पापा को स्वग॔ ले जाता है वह बेटा होता है।पर शायद लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि जो स्वग॔ को घर ले आए वह बेटी होती है।जानते हो कि बिन बेटी का घर और बिना टायर वाली कार में कोई अंतर नहीं है।अगर बेटा मान है तो बेटी शान होती है।न जाने क्यों बेटियों को बोझ समझा जाता है। हर बार बेटी को समझाया जाता है। क्या कभी किसी बेटे को समझाया है कि जिस बेटी के साथ वह खिलवाङ करने कि कोशिश करता है वह भी किसी की बहन है।अगर एक बेटी को जन्म देते हो तो वह एक निशानी बन जाती है पर अगर उसे खो देते हो तो वह केवल एक कहानी बनकर रह जाती है।बेटी सिफ॔ उन्हीं के घर में जन्म लेती हृ जो उसे पालने की हैसियत रखता हो।जानते हो कि एक बेटी के साथ बहुत छोटा सा सफर होता है क्योंकि बहुत कम समय के लिए होती हैं ये हमारे साथ इसलिए इसकी मोहब्बत को कभी आजमाना नहीं, वो फूल है उसे कभी रुलाना नहीं। सन्सार में हर व्यक्ति को माँ चाहिए , बहन चाहिए, बीवी चाहिए और हाँ गल॔ फैंड भी चाहिए तो फिर बेटी क्यों नहीं चाहिए। आखिर उस नन्ही परी का कसूर क्या है।जिस घर में बेटी जन्म लेती है वो घर किस्मत वाला होता है और उन्हें मैं बताना चाहूँगी कि अपनी बेटी को चाँद जैसा मत बनाओ कि हर कोई घूर- घूर के देखे , अपनी बेटी को सूरज जैसा बनाओ कि घूरने से पहले ही सबकी नजरें झुक जाएँ।
धन्यवाद।
सोनिया परूथी
ऐमिनिटी पब्लिक स्कूल
कक्षा 10