कांग्रेस में संघर्षशील कार्यकर्ता और उनकी सिथति
कांग्रेस में संघर्षशील कार्यकर्ता एवं उनकी सिथति----
5 राज्यों के परिणाम की सीरीज कांग्रेस 3-2 से जीती लेकिन बिकाऊ मिडिया आसमान सिर पर उठाये दे रही है अब यदि उ प्र की बात करें तो उ प्र में कांग्रेस के पास वैसे भी खोने के लिए कुछ नहीं था अब बचा उत्तराखण्ड वो जरूर कह सकते है कि कांग्रेस के हाथ से चला गया । इसलिए हम परिणाम की समीक्षा करें तो हम 4 राज्य में से तीन राज्य में बढ़त पाये हैं ये भी एक अच्छा प्रदर्शन हम कह सकते हैं इसलिए निराश होने की जरूरत कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बिलकुल नही है ।
कांग्रेस हाईकमान को 2019 के मद्देनजर उ प्र एवं अन्य राज्यों में संगठन के पेच कसने चाहिए---
1.कांग्रेस हाईकमान को अब 2019 के मद्देनजर अब संगठन में कड़े फैसले लेने होंगे ।
2. संगठन में संघर्षशील कार्यकर्ताओं को आगे लाना होगा ।
3. चाटुकार और जनाधारहीन लोगों को हाईकमान बाहर का रास्ता दिखाये ।
4. कांग्रेस में जिम्मेदारी पर जवाबदेही तय होनी चाहिए ।
गणेश परिक्रमा करने वाले चाटुकार लोग जो कभी कांग्रेस के थे ही नहीं वो तो सिर्फ और सिर्फ़ अपना हित साधने आये थे ऐसे लोग वैसे तो स्वयं ही भाग जायेंगे हाईकमान को उन्हें भगाने की जरूरत नहीं पड़ने वाली ।
कांग्रेस हाईकमान को अब से ये करना होगा जो जमीनी संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता हैं जो एक लंबे समय से कांग्रेस का झंडा हाथ में उठाकर जनता के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं उनको आगे लाना होगा ।
अब क्योंकि उ प्र के चुनाव में जमीनी संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर गठबन्धन का फ़ैसला कर लिया गया मेरी नजर में यदि उ प्र का चुनाव कांग्रेस अकेले लड़ती तो इससे तो बेहतर ही परिणाम आते ।
अब कांग्रेस हाईकमान स्वयं जाँच कर देख ले उ प्र में जो थोपे गये प्रत्याशी थे वो कितनी दूर तक संघर्ष में कांग्रेस के साथ चल पाते हैं या वो लोग कितना संघर्ष कर रहे हैं कांग्रेस की मजबूती के लिए ।
दूसरी बात हाईकमान को फैसलों में जमीनी कार्यकर्ताओं की राय शुमारी को भी अमल में लाने की आदत डालनी होगी ।
कांग्रेस हाईकमान की जमीनी और संघर्षशील कार्यकर्ताओं से संवादहीनता---
कांग्रेस की एक सबसे बड़ी कमजोरी या आदत कह सकते हैं वो है हाईकमान की संघर्षशील कार्यकर्ताओं से संवादहीनता ।
जिस कारण से कांग्रेस हाईकमान के सामने सच्ची वास्तविकता नहीं आ पाती पर्यवेक्षक जो रिपोर्ट दे दें उसको ही सच मान लिया जाता है क्रोस चैकिंग नहीं की जाती ।
कांग्रेस में जिम्मेदारी पर जबावदेही तय होनी चाहिए । जिम्मेदारी में असफल होने वाले नेता से जवाददेही तय होनी चाहिए ।
कांग्रेस हाईकमान को चाहिए जमीनी संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं से संवाद बना कर रखे जिससे उनको हर जिले व शहर की सही रिपोर्ट भी मिलती रहेगी और इससे संघर्षशील कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढेगा ।
लगातार हो रही असफलताओं से कभी नहीं घबराना चाहिए ।
कभी कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है ।
पं संजय शर्मा की कलम से