पराधीन सपनेहूँ सुख नाहीं
तुलसीदास जी ने हमारे जीवन की सबसे बङी सच्चाई से अवगत कराया है कि जो व्यक्ति पूरे विश्व में दूसरों पर अधीन होता है, वह व्यक्ति सपनों में भी सुख नहीं पाता है । हमें किसी पर भी निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें खुद पर अटूट विश्वास होना चाहिए व सच्ची लगन से अपने लक्ष्य की और बढ़ते रहना चाहिए। अगर हमारे भीतर अखंड विश्वास, लगन कूट कूटकर भरी होगी तो अवश्य ही सफलता हमारे कदम चूमेगी व अपने गले लगा लेगी। जो व्यक्ति दूसरों पर निर्भर रहता है,वह संसार में दुखिया बनकर ही रह जाता है।उसे अपने ऊपर विश्वास ही नहीं होता तो सफलता क्या खाक उसे गले लगाएगी। उसकी जिन्दगी दूसरों से ही प्रारंभ होती है और दूसरों पर ही खत्म हो जाती है। वह दूसरों की इच्छाओं पर ही अपना जीवन व्यतीत करता है और उनके हाथों की कठपुतली बन कर रह जाता है। ऐसा व्यक्ति स्वयं अपने जीवन का गला घोंट देता है। ऐ पी जे अब्दुल कलाम ने सच ही कहा है कि शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वह माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या हमारे पेशे का। अगर हमें शिखर पर पहुँचना है तो सर्वप्रथम खुद पर निर्भर होना चाहिए और फिर हिम्मत के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए तभी हम खुशी का अनुभव करेंगे।
Composed by
SONIA PARUTHI
AMENITY PUBLIC SCHOOL