असर है ज़िन्दगी पर तेरा,
आज तू खा कुछ मेरा ।
मेरी ज़िन्दगी है एक कयामत,
यु वक्त ने की है शरारत ,
सजी सम्भली ना की ऐसी नज़ाकत ,
खुशिया नही तो गमो का क्यों है डेरा।
आज फिर कहती हूँ.........
चाहत थी मिलने की, पर ना मिल इज़ाज़त ,
ज़ज़्बात थे ,पर ना की खाने की हिमाकत ,
क़ुबूल है अब मुझे ज़िन्दगी की ये कहावत ,
प्यार ने जिंदड़ी को इस तरह क्यों घेरा ।
आज फिर कहती हूँ
असर है ज़िन्दगी पर तेरा
आज तू नही तो कहा कुछ मेरा ।