भारत में फिर से आजा
प्यारे सुभाष आजा
सोते हुए हैं फिर भी
आकर उन्हें जगा जा
बदले थे भेष तूने
कारण स्वतन्त्रता के
कहीं खान तू बना था
सूरत वो फिर दिखा जा
ये गाना औ बजाना
तेरे बिना है फीका
बंगाली शेर आकर
जलसों को तू सजा जा
जापान रूस जर्मन
पर्वत की कन्दरा में
बैठे हो स्वर्ग में या
अपना पता बता जा
तुम नेहरू जवाहर की
दाहिनी भुजा हो
वे स्वर्ग में हैं वेकल
धीरज उन्हें बंधा जा
उद्योग आपके से
भारत स्वतन्त्र हुआ
देवी स्वतन्त्रता को
अपने गले लगा जा
स्व. पं. जगन्नाथ प्रसाद शर्मा "नीरस"
की कलम से
(पं संजय शर्मा के पूज्यनीय बाबा)