गुजरात का घमासान एक दिवसीय क्रिकेट की तरह चल रहा है जिसमे कई तरह के उतार चढ़ाव के बीच गुजरात का मैच अपने चरम पर पहुंच चुका है ।
इसी गुजरात के चुनाव प्रचार में राहुल गांधी एक नायक और योद्धा बनकर उभरे हैं ।
गुजरात के चुनाव के बीच ही राहुल गांधी की ताजपोशी भी हो रही है ।
राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए पूरी कांग्रेस एकजुट नजर आ रही है जिसके लिए राहुल गांधी का नामांकन कराया गया और उनके मुकाबले में कोई प्रत्याशी न होने की सूरत में राहुल गांधी का अध्यक्ष बनना भी तय है । इसमें कोई शक नहीं कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस फिर अपने स्वर्णिम दौर की ओर लौटेगी ।
खैर इन सबके बीच कांग्रेस में राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने को लेकर शहजाद पूनावाला की ओर से निशाना भी साधा गया जो कि महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व सचिव बताए जाते हैं ।
यहां यदि शहजाद पूनावाला की बात की जाए उनके अनुसार एवम बहुत से विरोधी पार्टी के नेताओं के अनुसार राहुल गांधी को गांधी सरनेम की वजह से अध्यक्ष पद विरासत में मिला है ।
मोदी जी ने तो राहुल गांधी के अध्यक्ष पद को लेकर औरंगजेब से ही तुलना कर डाली ।
अब यहां यदि बात शहजाद पूनावाला की की जाए तो क्या उनके साथ पूरी कांग्रेस पार्टी एकजुट है जबाव नहीं है तो फिर पूनावाला किसके दम पर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहते थे नामांकन के लिए वो प्रस्तावक क्या किसी अन्य पार्टी से लाएंगे ।
रही बात गांधी सरनेम की तो अब इसमें राहुल गांधी का दोष तो है नहीं कि उन्होंने स्व राजीव गांधी की संतान के रूप में जन्म लिया और उनको विरासत में गांधी सरनेम मिला सबको विरासत में ही सरनेम भी मिलता है सबको विरासत में यदि दादा परदादा या पिता का व्यवसाय है दुकान मकान है तो विरासत में ही मिलती है ।
अब राजनीति सेवा भाव राहुल गांधी को विरासत में मिला है तो इसमें भी मोदी जी और बीजेपी राहुल गांधी का ही दोष ढूंढने में लगे रहते हैं ।
सारी दुनिया जानती है स्व जवाहरलाल नेहरू एक रॉयल फैमिली से थे धन की कोई कमी नहीं थी उनको क्या जरूरत थी आजादी की लड़ाई में अपनी जान खपाने की बस एक जज्बा था देश को आजादी दिलाने का और जनता की सेवा करने का ।
उसी प्रकार स्व इंदिरा गांधी स्व राजीव गांधी को भी क्या जरूरत थी राजनीति में देश सेवा करते हुए अपने प्राण गंवाने की फिर वही बात जज्बा राजनीति के जरिये जनता की सेवा करना ।
उसी प्रकार सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी जिनकी दादी और पिता को राजनीति के जरिये जनता की सेवा करने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी क्या जरूरत थी राहुल गांधी को राजनीति में आकर अपनी जान को जोखिम में डालने की ऐशो आराम की जिंदगी बिताते ।
राहुल गांधी को धन कमाने के लिए या प्रसिद्धि के लिए राजनीति में आने की जरूरत तो है नहीं ।
इसलिए यहां मैं उन लोगों को बताना चाहता हूं जो विरासत और वंशवाद को लेकर राहुल गांधी को घेरने का असफल प्रयास करते हैं ।
उन्हें राहुल गांधी के परिवार की पृष्ठभूमि को लगातार पढ़ते रहना चाहिए ।
मोदी जी के कहे अनुसार राहुल गांधी सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं ।
यहां मोदी जी सत्य बोले हैं यानी राहुल गांधी को धन की कोई कमी नहीं राहुल गांधी का राजनीति में आना अपने परिवार की परंपरा सेवा भाव को आगे बढ़ाना है फिर मोदी जी को इसमें क्या दिक्कत है ।
राहुल गांधी को धन की कमी नहीं सारी दुनिया उनको जानती है तो धन और प्रसिद्धि पाने की लालसा भी खारिज हो जाती है । प्रधानमंत्री बनने की चाहत उन्होंने यू पी ए कार्यकाल में डॉ मनमनोहन सिंह का प्रस्ताव ठुकराकर दिखा दी ।
इन सब बातों का सार ये निकल कर आता है राहुल गांधी को विरासत में अपने परिवार का सेवा भाव भी मिला है जिसका जिक्र न तो मोदी जी करते हैं और न बीजेपी पार्टी ही करती है ।
सब जानते हैं राजनीति एक व्यवसाय बन चुकी है लोगों की तो सांसद विधायक बनते ही रिश्तेदारों और यार दोस्तों तक की गरीबी दूर हो जाती है ।
यहां राहुल गांधी को जरूरत नहीं है अपनी गरीबी दूर करने की जिनको राजनीति में गरीबी दूर करनी थी वो अपनी और अपने यार दोस्तों की गरीबी दूर कर चुके वेे लोग तो नाहक ही राहुल गांधी पर निशाना साधकर अपने डर को ही प्रदर्शित कर रहे हैं
यहां मोदी जी का अपने भाषणों में अपने आपको बार बार गरीब बताना हंसने को मजबूर कर देता है मोदी जी को पता होना चाहिए वो देश के प्रधानमंत्री हैं वो गरीब कहाँ से हुए ।
कांग्रेस को कुनबा बताने वालों ने चलो कांग्रेस को कुनबा तो माना कांग्रेस और राहुल गांधी तो देश की जनता को भी अपने कुनबे में मानती है और यही जनता को अपने कुनबे के रूप में मानने का जज्बा राहुल गांधी को सेवा भाव के लिए प्रेरित करते हुए राजनीति की निष्ठुर पिच पर लेकर आया है ।
बस राहुल गांधी को जुमले झूठ और छल की राजनीति करना नहीं आता और ऐसी राजनीति करना उन्हीं लोगों को ही मुबारक जो अब तक अच्छे दिन के नाम पर जनता को सिर्फ जुमले ही पिलाते आये हैं ।
रही बात राजनीति विरासत की तो कांग्रेस के इस लम्बे इतिहास में जवाहर लाल नेहरू इंदिरा गांधी राजीव गांधी सोनिया गांधी एवम अब राहुल गांधी ही अध्यक्ष बनने जा रहे हैं ।
कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार से ही बनता है को लेकर विरोध करने और नुक्ता चीनी करने वालों को कांग्रेस के शुरू से लेकर अब तक के कांग्रेस अध्यक्ष का इतिहास पढ़ने की आवश्यकता है ।
अब इस सरनेम को लेकर हाय तौबा मचा राहुल गांधी को घेरना कहाँ तक उचित है ?
मोदी जी ने तो खैर प्रधानमंत्री पद की गरिमा तक खूंटी पर टांग रखी है ऐसे ऐसे सम्बोधन प्रयोग में लाते हैं जो कहीं से भी प्रधानमंत्री पद की गरिमा के अनुकूल नहीं कहे जा सकते ।
दअरसल राहुल गांधी संघर्ष की भट्टी में तपकर दिनों दिन इतने निखरते जा रहे हैं कि मोदी जी और उनकी पूरी सरकार राहुल गांधी को घेरने के लिए नित नई शब्दावली नित नए विवाद पैदा करने की असफल कोशिश ही करते नजर आ रहे हैं ।
राहुल गांधी द्वारा एक प्रकार से गुजरात चुनाव में जनता की आवाज बनकर एक नायक के रूप में उभर कर सामने आए हैं और मोदी जी से सवाल दर सवाल पूछकर राहुल गांधी ने मोदी जी और पूरी बीजेपी पार्टी को बगलें झांकने को मजबूर कर दिया है ।
बीजेपी हाल में सम्पन्न निकाय चुनाव की सफलता और अमेठी निकाय में बीजेपी प्रत्याशियों की जीत को गुजरात मे हवा देकर अपने पक्ष में माहौल बनाना चाहती है ।
बीजेपी को पता होना चाहिए स्थानीय निकाय क्षेत्रीयता और क्षेत्रीय व्यक्ति की योग्यता और लोकप्रियता के आधार पर लड़े जाते हैं
बीजेपी ये बताए कि उनके उप मुख्यमंत्री के वार्ड से निर्दलीय प्रत्याशी से बीजेपी के प्रत्याशी को हार क्यों मिली ?
बीजेपी को यहां ये भी नहीं भूलना चाहिए कि चुनाव गुजरात मे होने जा रहा है न कि उ प्र में । भिन्न भिन्न प्रान्त के अपने अपने अलग अलग मुद्दे होते हैं गुजरात मे 22 साल के कुशासन का मुद्दा है बीजेपी को चाहिए कि वे और मोदी जी गुजरात के 22 साल के कुशासन और अच्छे दिनों के बारे में अपने विचार गुजरात की जनता को बताएं ।
राहुल गांधी को औरंगजेब बताने से गुजरात का विकास या देश की जनता के अच्छे दिन नहीं आ जाएंगे ।
एक तरफ बीजेपी के नेता कहते हैं कि वे राहुल गांधी को सीरियसली नहीं लेते फिर क्या कारण है कि राहुल गांधी के किसी भी बयान पर बीजेपी का पूरा कुनबा एकत्र हो व्यक्तिगत बयानबाजी पर उतर आता है ।
अब यदि राहुल गांधी को छींक भी आ जाये तो पूरी बीजेपी के कान खड़े हो जाते हैं कि किन कारणों से राहुल गांधी को छींक आई । ये राहुल गांधी का डर ही तो है बीजेपी को लेकिन वो स्वीकार नहीं करेंगे कि केंद्र सरकार और पूरी बीजेपी राहुल गांधी से डरती है ।
पं संजय शर्मा की कलम से