एक दीवानी आज भी है उसकी
तमन्नाएं उससे आज भी है उसकी
वक़्त चल पड़ा है ,बीते पलों से रूबरू होने ,
जहन में यादे, आज भी है उसकी।
मुलाकात थी दो पल की,
पर यादें हो गयी उम्र भर की,
जुबां पर ख़ामोशी थी
लेकिन ख़ामोशी में सवालों की बौछारे थी
नज़ाकत भरे वक्त ने चलना सीखा दिया
फिर भी बीते कल में भी वो आज की आजमाइश है किसकी ?
एक दीवानी आज भी है उसकी
तमन्नाएं उससे आज भी है उसकी
वक़्त चल पड़ा है ,बीते पलों से रूबरू होने ,
जहन में यादे आज भी है उसकी ,
आरजू कल्पनाओ में ही रह गई,
वक़्त में उससे मिलने की खवाइश अधूरी रह गयी,
ख्यालो के आगोश में बैठ रह उसके,
कब उसके जज़्बातो में वो गाफिल बन गयी
कहती थी,बेकाबू नही वो उसके आ जाने से
मोहब्बत था वो, लेकिन क्यू रुक गयी वो,
तो उन लम्हो में उससे दूर न होने की गुजारिश थी किसकी ,
एक दीवानी आज भी है उसकी
तमन्नाएं उससे आज भी है उसकी
वक़्त चल पड़ा है ,बीते पलों से रूबरू होने ,
जहन में है यादे, आज भी है उसकी ,
न चाहा उसने की मिल जाये मोहब्बत उसकी
माने या न माने वो चाहत है उसकी,
क़ुबूल हो जाएगी हर हिदायत जिसकी
बस कहा वक्त से, गुजारिश कुछ ठहरने की
कहती है "इंतज़ार नही करती उसका"
तो फिर उन लकीरों पर नाम है किसका
एक दीवानी आज भी है उसकी
तमन्नाएं उससे आज भी है उसकी
वक़्त चल पड़ा है ,बीते पलों से रूबरू होने ,
जहन में है यादे, आज भी है उसकी ,