लफ्ज़ नहीं थे मेरे पास कुछ कहने को,
जब पहली बार तुझको मैंने देखा था !
युही चलते चलते रहोपे ,
तब तूने बड़ी मासूम नजरो से मुझको भी देखा था !
याद जब आता है वही दिन ,
तब उसी रास्ते पे फिरसे चलने का मन करता है !
बस एक तमन्ना दिल में रखकर ,
फिर आँखों से आखें चार करने का दिल करता है !