Friday, 16 December 2016
नोटबन्दी का सच क्या है ?
आज जिस प्रकार से नए नोटों की करेंसी बड़ी रकम में पकड़ी जा रही है एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रही है हमारे सिस्टम और हमारे देश की सरकार पर जहां एक आम आदमी एक एक रूपये के लिए लाइन में धक्के खा रहा है वहीं दूसरी ओर करोडों की नई करेंसी की बरामदगी ये कहने के लिए काफी है कि इस समय देश में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है बहुत बड़ी जाँच का विषय है ये कि ये नई करेंसी बैंकों के आलावा भी कहीं और से इधर उधर तो नहीं हो रही ।
अब प्रश्न ये है कि इस नोटबन्दी की प्रक्रिया में सिर्फ और सिर्फ एक आम आदमी ही पिस रहा है शायद 50 दिन के बाद भी पिसना उस आम आदमी की नियति में शामिल रहेगा सरकार सिर्फ और सिर्फ मुहावरों से और जुमलों से और भाषण से जनता को बहला रही है और राष्ट्रवाद की दुहाई भी दी जा रही है जो अपनी तकलीफ बताना चाहता है उसे देशद्रोही कहा जा रहा है
आज कैश लैश की जिस प्रकार दुहाई दी जा रही है क्या सरकार को ये पता है कि देश में साक्षरता का कितना आंकड़ा है और निरक्षरता का आंकड़ा कितना है यहां भी सरकार अपनी कमियां छुपा रही है जनता की स्वतन्त्रता का भी हनन हो रहा है राष्ट्रवाद की आड़ में ये लोगों पर निर्भर होना चाहिए कि वो अपना रु कैश से खर्च करें या कार्ड से खर्च करें और फिर हमारे देश में कितना साक्षरता और कितना निरक्षरता का आंकड़ा है क्या सरकार ये भी जानती है क्या कैश लेश की वकालत करने वाली सरकार ने साइबर क्राइम को रोकने का पूरा इंतजाम कर लिया है क्या जो निरक्षर लोग है वो कैश लैश पद्धति से हैकर्स के साफ्ट टारगेट नहीं होंगे फिर वही बात यानि हर काम में अधूरी तैयारी जैसे नोटबन्दी थोपी गयी अब कैश लैश की बात कह जनता पर अपनी मनमानी थोपने का प्रयास हो रहा है ।
और शायद आगे सरकार आम आदमी के खाने पीने उठने बैठने का भी मीनू तय कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए
मैं सरकार से पूछना चाहता हूँ कि क्या भूख लगने पर रोटी मांगना देशद्रोह है ? क्या दर्द होने पर दवाई मांगना देशद्रोह है ? क्या अपनी तकलीफ को बताना देशद्रोह है ?
हकीकत ये है कि सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रवाद की आड़ लेकर सरकार अपने अदूरदर्शी फैसले को सही साबित करने की जी तोड़ कोशिश में लगी है जबकि सरकार भी जानती है कि उनका ये नोटबन्दी का फार्मूला सुपर फ्लॉप साबित हुआ है क्योंकि उनके इस फार्मूले ने एक आम आदमी को दर्द तकलीफ और मानसिक यंत्रणा के आलावा कुछ नहीं दिया ।
पं संजय शर्मा की कलम से
नोटबन्दी के समय लिखा गया ब्लॉग
out @san23Sharma's Tweet: https://twitter.com/san23Sharma/status/809969959757578240?s=09
Pandit sanjay sharma at 19:56