चुनाव जीतने के लिए नेता कुछ भी कहेगा

Author Photo Pandit Sanjay Sharma 'aakrosh' Mon 18th Dec 2017      Write your Article
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चुनाव जीतने के लिए नेता कुछ भी कहेगा---
चुनावी बिसात बिछते ही वर्तमान राजनीती में जिस प्रकार से भाषा की मर्यादाएं टूट रही हैं और हमारे राजनेताओं का आचरण कहीं से भी हमारे सभ्य समाज या हमारी युवा पीढ़ी के लिए आदर्श सिथति नहीं कहा जा सकता ।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए जिस प्रकार की भाषा का (नमूना) प्रयोग बीजेपी अध्यक्ष की ओर से किया गया है उसे कतई एक जिम्मेदार पार्टी के अध्यक्ष का बयान नहीं कहा जा सकता ।

मनमोहन सिंह एक काबिल अर्थशास्त्री के अलावा देश के 10 साल तक प्रधानमंत्री भी रहे हैं अब एक पूर्व प्रधानमंत्री को अमित शाह द्वारा नमूना बताया जाना खुद अमित शाह को हंसी का पात्र बना रहा है

राहुल गांधी ने सवाल दर सवाल पूछकर गुजरात के विकास और अच्छे दिन पर जो प्रहार किए हैं ये उसी बौखलाहट का नतीजा है कि बीजेपी के नेताओं की समझ में ही नहीं आ रहा वो करें तो क्या करें ।

अब वैसे इसमें बीजेपी अध्यक्ष की गलती नहीं है बीजेपी में यही संस्कार घोंट घोंट कर पिलाये जाते हैं इसलिए बीजेपी अध्यक्ष तो पार्टी परम्परा के अनुसार ही बोल रहे हैं ।

मोदी जी तो दादा परदादा नाना नानी यानी पुरखों तक को अपने भाषणों में जिंदा कर देते हैं ।

बीजेपी की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि उसके नेता तो कांग्रेस या राहुल गांधी और उनके परिवार के बारे में कुछ भी कहें बीजेपी अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती है लेकिन जबाव में यदि कांग्रेस के नेता कोई बयान दे दें तो बीजेपी के नेता पूरे देश मे भूचाल खड़ा कर देते हैं ।

दरअसल बीजेपी और उनके नेता सत्ता सुख में इतने अहंकारी हो गए हैं कि जब जो मुंह मे आता है बोल देते है और यदि किसी ने जबाव के बदले जबाव दे दिया तो इसे बीजेपी अपनी शान में गुस्ताखी समझती है ।

बीजेपी को यहां ये नहीं भूलना चाहिए कि अहंकार तो रावण और कंस का भी नहीं रहा यही अहंकार उनके पतन का कारण भी बना ।

जिस प्रकार सफलता स्थाई नहीं होती उसी प्रकार असफलता भी स्थाई नहीं होती जो जितनी तेजी से ऊपर चढ़ा है उतनी ही तेजी से नीचे भी गिरा है और यही प्रकृति का नियम है इसलिए बीजेपी को अपना भूतकाल भी याद रखना चाहिए ।

क्या नेताओं की जुबान अनजाने में फिसलती है-----
क्या नेताओं की जुबान अनजाने में फिसलती है या फिर जान बूझ कर जुबान फिसलाई जाती है ।
मेरा मानना है नेताओं की जुबान फिसलना जिसे हम लोग विवादित बयान भी कहते हैं । वो जुबान जान बूझ कर चर्चा में रहने और लोगों का ध्यान आकर्षित कर खुद की टी आर पी बढ़ाने का खेल होता है कोई भी विवादित बयान ।
यहां ये भी देखना होता है कि वो जुबान किस नेता की फिसली है और किस नेता के लिए फिसली है ।
इस फिसली जुबान का परिणाम चौतरफा बयानबाजी विरोध प्रदर्शन आदि आदि । नेताजी देश भर में मशहूर हो जाते हैं अपनी उसी फिसलाई हुई जुबान के कारण ।
इस विवादित बयान के नेता को चर्चा में लाने और उनकी टी आर पी बढ़ाने में हमारी मिडिया के योगदान को तो बिलकुल भी नहीं नकारा जा सकता ।
नेताओं की किसी भी साधारण सी बात या बयान को ब्रेकिंग न्यूज बना कर पेश कर रातों रात उस अनजाने से नेता को भी देश की जनता जान जाती है ।
विवादित बयान या भाषा की मर्यादाएं तब और अधिक टूटना शुरू हो जाती हैं जब चुनाव होता है । राजनेता अपनी विवादित शैली के शब्दों और भाषणों के जरिये जनता को लुभाने में ऐड़ी चोटी तक का जोर लगा देते हैं बाकी का उनका काम मिडिया उस खबर को ब्रेंकिंग न्यूज बना कर पूरी कर देता है ।
यहां ऐसा भी नहीं है कि जुबान अनजाने नेता या कम मशहूर नेताओं की ही फिसलती है ।
चुनावों में जिम्मेदार पद पर आसीन राजनेता भी व्यक्तिगत हमले और विवादित बयानों के भाषण देकर ऐसे ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार करने योग्य नहीं हैं ।

एक लंबे समय से देखा जाता रहा है नेताओं और पार्टियों के नारे भी कम विवादित नहीं रहे हैं अब वो चाहें तिलक तराजू हो या फिर मंदिर वहीं बनाएंगे या फिर हवा हवाई अच्छे दिन के नारे या जुमले हों ।

पूर्व के हमारे नेताओं या आजादी के मतवाले हमारे क्रांतिकारियों के नारे युवाओं में एक जोश और उनके बाजुओं को फड़काने का काम करते थे जैसे "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" "अंग्रेजों भारत छोड़ो" "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है" "जय जवान जय किसान" आदि जो देश की जनता को एक प्रेरणा देने का कार्य करते थे और समाज और देश को जोड़ने का काम करते थे

आज के समय के नारे "तिलक तराजू और तलवार" "मंदिर वहीं बनाएंगे " "कथित अच्छे दिन" वगैरह अन्य जुमले "मां बेटे की सरकार" " बाप बेटे की सरकार" "लात मार कर निकाल देना" "किसी भी चौराहे पर सजा दे देना" "फाँसी पर चढ़ा देना" आदि आदि ।
और हाल में ही अब बात शमशाम से लेकर कब्रिस्तान पर आ गई है अरे भाई हिंदुस्तान की भी बात कर लिया करो , नेताओं कुछ ईमान की बात भी कर लिया करो ये भी न कर सको तो इंसानियत और इंसान की ही बात कर लिया करो हिन्दू और मुसलमान, कब्रिस्तान और शमशान की बात कहकर हिन्दुस्तान को बाँटने की कोशश न करो ।

इन नारों और जुमलों को सुनकर आम सभ्य लोगों का अपना सिर धुनने का मन करने लगता है और ये नारे और जुमले किसी छोटे या आम नेताओं के नहीं बल्कि देश के जिम्मेदार और महत्वपूर्ण और जिम्मेदार पदों पर आसीन या आसीन रहे राज नेताओं के हैं और इस प्रकार के नारों ने समाज और देश को बाँटने का ही कार्य किया है ।
और नेताजी के लिए वो कहावत चरितार्थ हो जाती है "बदनाम हुए तो क्या, नाम तो हो गया"
या फिर
"चुनाव तो सफल हो गया "

पं संजय शर्मा की कलम से

DARD-E-DIL

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Kis gunah ki saja tumne mujhe diya...?
Ban ke bewafa tumne pyaar ko badnam kyon kiya....?
Mila tumse mohabbat karne ka sila mujhe,
Jite ji tumne mujhe ye judai ka zahar kyon diya...?

Na karte pyar kabhi bhi tumse agar pta hota mujhe judai ka gam,
Karke mujhe akela, kahan chale gye wo bewafa s.... Read More

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Author  Photo Prince   (Wed 9th Mar 2016) जालिम दुनियाॅ ने नाई को भी नहीं छोड़ा
एक आदमी एक दस साल के
लड़के के साथ नाई की
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और
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जरुरी काम से जाना है....
इसलिये वो पहले उसकी
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Author  Photo Sanjeet Kumar Pathak   (Thu 13th Nov 2014) गरीब का बेटा
अँधेरी आसमान के नीचे,
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ऐसी विपत्ति ने घेरा था..... Read More

Maa se milne ki tadap

Author  Photo SONIA PARUTHI   (Sat 26th May 2018) Maa se milne ki tadap
kyu chale gye maa is nanhi si jaan ko chodhkar
ek baar tou dekha hota peeche mudkar
taras rhi hu us gaud mein sone ke liye
kya khata humne kiye
yaad aate hai aapke saath bitay din
nhi jee sakti aapke bin
rona chahti hu aapke kandhe par sir rakhkar
kyu ho khafa is kadar
roti hai aapki jaan di.... Read More

PAISA(MONEY)

Author  Photo Shrivastva MK   (Wed 4th Oct 2017) PAISA(MONEY)
Maine paise ke liye insaan ko badalte dekha hai,
Maine paise ke liye insaan ko tadapate dekha hai,
Ye bhagwan to nahi par,
Iske liye insaan ko marte dekha hai,

Maine Paise ke liye kisi ko kadi dhup me jalte dekha hai,
Maine Paise ke liye kisi ko thand me tadapte dekha hai,
Ye grihdata to nah.... Read More

HUMNE BHI BAHUT KUCHH ES DIL ME DABA RAKHE HAI

Author  Photo Shrivastva MK   (Sun 1st Oct 2017) HUMNE BHI BAHUT KUCHH ES DIL ME DABA RAKHE HAI
Humne bhi bahut kuchh es dil me daba rakhe hain,
Apna pyar es duniya se chhupa rakhe hain,
Na ho kisi ko bhi ehsaas mere dard Ka isliye,
Apni Mayushi ko bhi muskan bana rakhe hain,
Muskan bana rakhe hain,

Unki khubsurat tasveer apni bhingi aankho me basa rakhe hain,
Unki harek Baat apni hoth.... Read More

Ae zindagi

Author  Photo Akshay   (Tue 1st Sep 2015) Ae zindagi
Ae zindagi

Yaaro ! Poora aaj mera khwaab karunga,
Ki Ae zindagi ! Aaj me tera hisaab karunga,
Sach keh raha hu ! Behisaab karunga,
Zindagani ke chootey pal tujh se le ke jiyunga,

Ae zindagi mujhe ek moka de,
Aise na tu mujhe dhoka de,
Mujhe wo bachpan ke din bhale chaar de,.... Read More

अनजान राहों में कहीं छूट से गये है

Author  Photo Shrivastva MK   (Sun 26th Nov 2017) अनजान राहों में कहीं छूट से गये है
मेरे सपने टूट से गये हैं,
मेरे अपने रूठ से गये हैं,
हमसफ़र बन साथ निभाने वाले
अनजान राहों में कहीं छूट से गये है,

इन आँखों का चैन अब लूट से गये है,
ये पल, ये मौसम मुझसे रूठ से गये है,
बनकर हिम्मत इस दिल का वो
अनजान राहों में कहीं छूट से गये है...✍
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Sapna ek Hamsafar Hamraah ka

Author  Photo Uma   (Sun 24th Sep 2017) Sapna ek Hamsafar Hamraah ka
sapna dekha tha maine

jaise her ladki dekhti hai

ek hamsafar... hamraah ka

shayad meri ichhayein anant hain

dosh nahi uska
.... Read More