उ प्र में अखिलेश माया ने मोदी लहर का तिलिस्म तोड़ा
त्रिपुरा का किला फतह करने के बाद अहंकार में डूबी बीजेपी के विजय रथ के अश्वमेघ के घोड़े को अखिलेश यादव और मायावती की जोड़ी ने उ प्र में घुसते ही पकड़ लिया और इसी के साथ ही मोदी लहर का तिलिस्म तोड़ उनके अश्वमेघ को भी पूरा नहीं होने दिया ।
हम बात कर रहे हैं उ प्र लोकसभा के गोरखपुर उपचुनाव और फूलपुर उपचुनाव की जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा छोड़ने के उपरांत वहां उपचुनाव कराया गया था ।
इस उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी की प्रतिष्ठा दाव पर लगी थी उनके 1 साल के कार्यकाल का भी आंकलन होना था ।
उसी प्रकार फूलपुर सीट पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद की भी प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई थी । बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी के अच्छे दिन के चमत्कार की उम्मीद लेकर और साथ ही उ प्र में बीजेपी की सरकार होने के दम पर इस उपचुनाव में उतरी थी ।
दूसरी ओर अखिलेश यादव और मायावती अपने एक निश्चित वोट बैंक के दम पर और बीजेपी के प्रति जनता में नाराजगी के दम पर इस उपचुनाव में उतरे थे ।
वैसे भी परिणाम अप्रत्याशित नहीं था क्योंकि अखिलेश यादव और मायावती के एक साथ आ जाने पर इन दोनों का एक निश्चित वोट बैंक प्लस हो गया साथ ही बीजेपी सरकार की 4 साल की नाकामयाबी साथ ही साथ उ प्र की सरकार के एक साल के कार्यकाल पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो वही ढाक के तीन पात ही रहे हैं इन सारे समीकरणों ने सपा की जीत की राह को और आसान कर दिया परिणाम सबके सामने हैं ।
बिहार के लोकसभा के उपचुनाव में भी बीजेपी के उम्मीदवार को राजद के उम्मीदवार से हार का मुंह देखना पड़ा । बिहार में भी बीजेपी सरकार में साझीदार थी ।
अब यहां एक प्रश्न बार बार ये आता है कि जो बीजेपी उपचुनाव नहीं जीत पा रही वो यदि आम चुनाव जीतती है तो आश्चर्य की बात तो है ।
बीजेपी को भी अपनी इस हार से सबक लेते हुए मनन करना होगा कि
क्या उन्होंने अहंकार में आकर देश को कांग्रेस मुक्त करने के उनके इस अभियान से जनता का कुछ भला हुआ या हो जाएगा ?
क्या उनके देश कांग्रेस मुक्त अभियान से बेरोजगारी दूर हुई या हो जाएगी ?
क्या उनके देश कांग्रेस मुक्त अभियान से किसान खुशहाल हुये या हो जाएंगे ?
क्या उनके देश कांग्रेस मुक्त अभियान से मंहगाई दूर हुई या हो जाएगी ?
क्या उनके देश कांग्रेस मुक्त अभियान से गंगा स्वच्छ हुई या हो जाएगी ?
बीजेपी के वादों की लिस्ट इतनी लंबी है कि पूरा ग्रन्थ ही लिखना पड़ेगा ।
यदि वाकई देश कांग्रेस मुक्त करने से जनता के चेहरे पर बीजेपी थोड़ी सी भी खुशी लाई हो तो बेशक कर दीजिए देश को कांग्रेस मुक्त ।
बीजेपी को यहां ये नहीं भूलना चाहिए कि उनकी 21 राज्यों में सरकार भी है इसलिए देश तो करीब करीब कांग्रेस मुक्त हो ही गया । देश मे बीजेपी सरकार, 21 राज्यों में बीजेपी सरकार लेकिन अच्छे दिन पता नहीं कहाँ गुमशुदा हो गए ।
हकीकत ये है कि बीजेपी का ध्यान जनता से किये वादों को पूरा करने में नहीं है उनका ध्यान सिर्फ इस बात में है कि मोदी जी के नेतृत्व में अधिक से अधिक राज्यों में कांग्रेस को हराकर या किसी भी अन्य पार्टी की सरकार को हराकर बीजेपी की सरकार बनाकर एक रिकॉर्ड कायम किया जाए ।
इस बात से तो यही निष्कर्ष निकलता है कि बीजेपी या मोदी जी सिर्फ अपने लिए खेल खेल रहे हैं साथ ही जनता की भावनाओं से खिलवाड़ का खेल खेल रहे हैं ।
इस उपचुनाव के जरिये एक बात और देखने को मिली जहाँ एक लंबे समय बाद सपा बसपा एक साथ आये और परिणाम भी उनकी आशा के अनुरूप ही रहा ।
तो क्या अब ये माना जाए कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा मिलकर मोदी लहर का उ प्र में ब्रेक लगा देंगे ?
तो क्या 2019 में कांग्रेस भी उ प्र में सपा बसपा के साथ गलबहियां कर सकती है ?
खैर राजनीति में कुछ भी असम्भव नहीं होता जब इतने लंबे समय बाद समय की मांग के अनुसार बसपा सपा से अपनी कड़वाहट भुला सकती है तो फिर कांग्रेस भी उ प्र में तिकड़ी का हिस्सा बन सकती है ।
वैसे खासतौर से उ प्र के लिए कांग्रेस को भी अब मंथन करना होगा मनन करना होगा कि उ प्र में कांग्रेस क्यों रसातल में जा रही है उनकी क्या तैयारी है 2019 में उ प्र के लिए ?
कांग्रेस को काम करने वाले ऊर्जावान लोगों को आगे लाना होगा चाटूकार और गणेश परिक्रमा करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाना होगा ।
यहां विपक्षी दलों को 2019 की तैयारी से पहले ई वी एम के अपने संशय को दूर करना होगा
यदि विपक्षी दल बैलेट से चुनाव चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें पूरी तरह से कमर कसकर चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात को रखना होगा । चुनाव आयोग द्वारा बैलेट से चुनाव न कराने की सूरत में विपक्षी दलों को चुनाव बहिष्कार के लिए भी तैयार रहना होगा ।
पं संजय शर्मा की कलम से