देश में या उ प्र में नया कार्यकर्ता कांग्रेस से ही क्यों जुड़े ?

Author Photo Pandit Sanjay Sharma 'aakrosh' Sat 26th May 2018      Write your Article
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देश में या उ प्र में नया कार्यकर्ता कांग्रेस से ही क्यों जुड़े ?
उ प्र में अन्य दलों की वैसाखी पर चलने की आदत डाल चुकी कांग्रेस से नया कार्यकर्ता आखिर क्यों जुड़े ?
सच्चाई लिखी है कड़वी तो लगेगी ही
उ प्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सपा गठबंधन का हश्र क्या हुआ सब जानते हैं ।
एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए उ प्र में कांग्रेस के एक बार फिर सपा बसपा की वैसाखियों पर चलने की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है
एक बात और बता दूं निष्ठा का पाठ सिर्फ कार्यकर्ताओं को ही क्यों पढ़ाया जाता है नेताओं को तो सारे खून माफ हैं ।
हम लोग उ प्र में रहते हैं जब कांग्रेस को उ प्र में अन्य पार्टी की वैसाखी पर ही चलना है तो फिर कोई भी नया कार्यकर्ता या पुराना कार्यकर्ता कांग्रेस से ही क्यों जुड़े ?
वो तो जो उ प्र का किंगमेकर होगा उससे ही तो जुड़ेगा ।
फिर स्पष्ट कर दूं निष्ठा आदर्श इन सबका पाठ सिर्फ कार्यकर्ताओं को ही पढ़ाया जाता है बल्कि कहना चाहिए कार्यकर्ता तो पेंडलुम की तरह है जो नेता आता है वो उसको घुमाकर छलकर चला जाता है छला जाना तो कार्यकर्ता की नियति बन चुका है ।
ये भी एक कड़वी सच्चाई है जो चाटुकारों को बिल्कुल हजम नहीं होगी ।
उ प्र में शून्य संगठन के सहारे यदि कांग्रेस 2019 का रण जीतने की खुशफहमी पाल रही है तो ये सिर्फ अपने आपको ही धोखा देने की कोशिश करने के समान कहलायेगा सभी जानते हैं कि उ प्र देश का सबसे बड़ा राज्य है और दिल्ली की गद्दी का ताज यही से तैयार होकर जाता है और सभी जानते हैं कि उ प्र में कांग्रेस के अंदर कितनी ताकत है ।

कांग्रेस में ताज बदला लेकिन उ प्र के अंदर कांग्रेस का वक्त नहीं बदला ।

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी की ताजपोशी से एक बारगी तो ऐसा लगा कि शायद अब उ प्र में या देश में कांग्रेस और खासतौर से आम संघर्षशील कार्यकर्ताओं के दिन बहुरेंगे ?

शायद अब उन आम संघर्षशील कार्यकर्ताओं को उनकी मेहनतअनुसार उनका हक मिलना शुरू हो जाएगा ?

शायद अब कोई आम संघर्षशील कार्यकर्ता भी विधायक या एम पी के चुनाव लड़ने लायक समझा जाएगा ?

शायद अब कोई आम संघर्षशील कार्यकर्ता राष्ट्रीय या प्रदेशीय पद पर सुशोभित हो जाएगा ?

लेकिन ये सब शायद ही रहा और शायद का हकीकत से कोई वास्ता नहीं होता है ।

वैसे कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने जनाक्रोश रैली के दौरान एक बात तो बिल्कुल ही सत्य कही थी जिसका कि मैं भी समर्थन करता हूँ कि " कांग्रेस का कार्यकर्ता शेर का बच्चा है "

लेकिन मैं कांग्रेस अध्यक्ष को बताना चाहता हूँ कि "कांग्रेस कार्यकर्ता शेर का बच्चा ही नहीं अपितु बब्बर शेर होता है" लेकिन उसी कांग्रेस के बब्बर शेर रूपी कार्यकर्ता को कांग्रेस के नेता गुटबाजी में या किसी भी अन्य कारण से संकट आने पर या जरूरत पड़ने पर अकेले ही संघर्ष करने के लिए क्यों छोड़ देते हैं ?

नीचे से लेकर ऊपर तक गुहार लगाने के बावजूद उस बब्बर शेर कार्यकर्ता की मदद या उसका सम्मान बचाने के लिए नेता क्यों नहीं उसकी पुकार को सुनते ?

मनन करना बहुत ही कड़वी सच्चाई कांग्रेस के लिए सड़कों पर किये संघर्ष में बिताए लगभग 28 साल के कटु अनुभवों से लिखी है और कांग्रेस की बेहतरी एवम कार्यकर्ताओं के हक की लड़ाई के लिए आईना दिखाना जरूरी भी था कि कांग्रेस में आज भी ऑल इज वेल नहीं चल रहा है ।

जो आम संघर्षशील शेर का बच्चा (कार्यकर्ता) कांग्रेस जिंदाबाद करते करते नहीं थकता राहुल गांधी जिंदाबाद करते नहीं थकता उस आम संघर्षशील कार्यकर्ता को सिर्फ और सिर्फ छल के अलावा और कुछ नहीँ मिलता ।

जब तक हमारा आम संघर्ष करने वाला कार्यकर्ता जिंदाबाद नहीं होगा

जब तक हमारा आम सड़कों पर कांग्रेस का झंडा बुलंद करने वाले कार्यकर्ता को उसका हक नहीं मिलेगा

जब तक हमारा आम संघर्ष करने वाले शेर के बच्चे का सम्मान सुरक्षित नहीं रहेगा

जब तक हमारा आम और आर्थिक रूप से कमजोर कार्यकर्ता आर्थिक रूप से सुदृण नहीं होगा ।

तब तक कांग्रेस की मजबूती की बात करना हवा में तीर ही चलाने जैसा होगा ।

ये भी उतनी ही बड़ी हकीकत और सच्चाई है कि आम कार्यकर्ता द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष के ऑफिस में संगठन सम्बन्धी ईमेल करने या मिलने का समय मांगे जाने पर कोई भी जबाव इत्यादि नहीं दिया जाता ।

आखिर क्यों ?

मैं कांग्रेस अध्यक्ष से जानना चाहता हूं कि क्या कार्यकर्ता सिर्फ फर्श उठाने या नारे लगाने के लिए ही है क्या वो पार्टी हित में अपने विचार या अपने अध्यक्ष से मुलाकात करने लायक भी नहीं समझा जाता ?

अभी कांग्रेस अध्यक्ष का एक बयान मैंने पढ़ा था पार्टी के ही नेता सलमान खुर्शीद के संदर्भ में- कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा मैं सलमान खुर्शीद की रक्षा करूँगा अच्छी बात है एक अध्यक्ष का कर्तव्य भी होता है कि अपनी पार्टी के नेता को ये भरोसा दिलाये कि मैं आपके साथ हूँ ।

लेकिन क्या कांग्रेस अध्यक्ष यही सब भरोसा या जज्बा जो सलमान खुर्शीद के सन्दर्भ में दिखाया है किसी आम कार्यकर्ता के साथ भी दिखाते उस आम कार्यकर्ता का नाम लेकर कहते कि मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा ?

ये मैं दावे और यकीन के साथ कांग्रेस अध्यक्ष से कहना चाहता हूं कि जिस दिन से उन्होंने एक आम कार्यकर्ता के लिए ये जज्बा दिखाना शुरू कर दिया कांग्रेस हवाओं में नहीं धरातल पर मजबूत होना शुरू हो जाएगी ।

कांग्रेस अध्यक्ष को आम जुझारु और संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता की पहचान स्वयं करनी होगी ।

उन संघर्ष करने वाले लोगों को आगे लाना होगा ।

आम संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को अपना ही साथी या भाई समझकर गले लगाना होगा ।



यदि कांग्रेस अध्यक्ष कांग्रेस में कार्यकर्ता को गुलाम समझने की भूल की इस परिपाटी को नहीं बदलते हैं तो फिर कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ हवाओं में ही मजबूत होती रहेगी धरातल की बात तो सिर्फ कल्पनाओं में धूल फांकती रहेगी ।

पं संजय शर्मा की कलम से ( कांग्रेस में अपने कटु अनुभव के आधार पर)

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Ab tujhse sare ristey tod denge hum ,
Mohabbat chhod denge hum,
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Ab to akele rahne ki aadat si ho gai hain ,
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