ऐ जिंदगी अभी जरा रहने दे
जो घाव दिल में हैँ
अब जरा उनको बहने दे
बुझता हुआ चिराग हूँ मैं
तू जरा उसको जलने दे
और गजल आखिरी है
वो मुझको अब तू कहने दे
ऐ जिंदगी....................
खाली मेरा पैमाना है
उसको जरा तू भरने दे
मुझको लड़खड़ा कर तू
फिर जरा सम्भलने दे
ठोकर अब इस जमाने की
वो मुझको थोड़ी सहने दे
इस संगदिल जहाँ में अब तू
थोडा जुनूँ से रहने दे
ऐ जिंदगी......................
टूटे हैँ ख्वाव मेरे
डूबी है कश्ती मेरी
निकले हैँ अरमान बहुत
जिंदगी है सस्ती मेरी
कैसे सुनाऊँ हाले दिल
ऐसी नहीँ है हस्ती मेरी
अनजाने सफ़र पे मुझको अब तू
थोड़ा सुकूँ से मरने दे
ऐ जिंदगी अभी जरा रहने दे