जिंदगी इक ख्वाव है तो मौत इक हक़ीक़त
किसे कब आगोश में ले ले ये उसकी अपनी फितरत
मेरी राहों में उसे कब आना है उसे तेरी भी जरुरत
उसे मेरी भी जरुरत
तेरे बगैर जिंदगी अब यूँ ही बेजार सी
तड़प रही है रूह मेरी बेकरार सी
तुझे देखने की चाह में दर दर भटक रहा
तेरे बगैर जिंदगी मेरी उधार सी
अपने हाथों से पिला दे साकी
तो में पी लूँ जरा
टूटा हुआ ये दिल है मेरा
तुम कहो तो उसे सी लूँ जरा
जिंदगी के पल भी अब तो कम हैं
तुम कहो थोड़ा जी लूँ जरा