अब वो सारे बाग वीराने लगते है,
अब वो सारे फूल पुराने लगते है,
जब से हुई है नफ़रत मोहब्बत से
तब से सारे दर्द याराने लगते है,
अब वो लोग अनजाने लगते है,
अब वो तस्वीर बेगाने लगते है,
जब भी याद आती है उनकी
तब ये अश्क़ भी दीवाने लगते है
अब तो अपने भी झूठे लगते है,
अब वो सारे सपने टूटे लगते है,
जब से बदला है रुख़ आपने
तब से ये मौसम भी रूठे लगते है।
©मनीष......✍