आज मेरी कलम बेचैन थी,रूठी हुई थी ,एक फटे पन्ने में लिपटकर रो रही थी, तभी अचानक ने मेरी नज़र उस पन्ने पर पड़ी जो पूरी तरह से फट चुकी थी और मेरे आंखों से आँसू निकल रहे थे जब मैं अपनी कलम की ऐसी हालत देखी।मेरी कलम आज किसी के दर्द को देखकर बहुत मायूश हो गई थी, रो रही थी इस दुनिया की तस्वीर देखकर की आज इंसान कैसा हो गया है जो शायद कभी खुशी देते थे आज रुलाने में ब्यस्त है।मैंने अपनी इस कलम की मायूशी आज मैं इसी के शब्दों में लिख रहा हूँ।
आज मेरे कलम के साथ साथ मेरी भी आंखें भीग चुकी है क्योंकि आज सच मे हमने किसी को दर्द में देखा था,मेरी कलम जो हमेशा मुस्कुरा कर मुझे कुछ लिखने पर मज़बूर करती थी आज उस कलम पर उदासी और मायुशी का पहरा था।एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी ।मैं बार बार रो रो कर अपनी कलम से पूछता पर शायद वो आज मुझसे भी रूठ गई थी।कुछ बोल नही रही थी,आज नजाने क्यों मुझे अजीब लग रहा था,मेरी मुस्कुराती हुई कलम को नजाने किसकी नज़र लग गई थी।
जब मैं रूठ जाता तो मेरी कलम मुझे मानती,जब मैं अकेला रहता मेरे पास बैठ जाती आज वो कलम अकेले उदास बैठी थी।
पता है आपको मेरी कलम की वजह से ही मैं मुस्कुरा पाता हूं ,मेरी मुस्कान के पीछे सिर्फ मेरी कलम होती है इसे सब पता होता है मेरी पसंद मेरी नापसंद तभी तो आज लिख भी रहा हु तो इन पलकों में कुछ आंसू की बूंदे लेकर जो शायद उस दर्द का एहसास करा रही थी।
एक तड़प थी उसके दिल मे वो कुछ कहना चाहती थी पर कह नही पा रही थी.....
हर लम्हा मेरा साथ देने वाली कलम ही अगर मुझसे रूठ जाए तो भला मैं कैसे खुश रह सकता हूँ।अगर मेरी कलम ही खामोश हो जाये तो भला मैं कैसे कुछ लिख सकता हु।
हमने भी सोचा था कि अपनी कलम से दुनिया की एक नई तस्वीर बनाऊंगा पर अगर यही रूठ जाए तो वो हिम्मत वो ताकत कहाँ से लाउँगा।दुआ है उस रब से ऐ खुदा ये दुनिया रुठ जाए मुझे मंज़ूर है,ये दुनिया मुझे नापसंद करे मुझे मंज़ूर है,ये दुनिया मेरा साथ न दे मुझे मंज़ूर है लेकिन अगर मेरी कलम मुझसे रूठ गई तो मैं मर जाऊंगा क्योंकि इस झूठी दुनिया मे सिर्फ ये प्यारी कलम ही है जिससे मुस्कुरा कर हम अपना दर्द बांटते है।अपने दिल की बात कहते है।
आज इसकी खामोशी मतलब मेरी ख़ामोशी...............................…..................................................................................................................................
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