यह एक सच्ची घटना है
जो नॉएडा एक्सप्रेस वे के पास घटी।
प्रदीप राठी नाम का युवक नॉएडा से
आगरा अपनी कार से जा रहा था।
जब वह मथुरा के पास
पहुँचा तभी अनहोनी घटी।
उसकी कार खराब हो गई और वहाँ दूर-दूर तक
कोई नज़र भी नहीं आ रहा था।
वह किसी कार से पास के कस्बे तक लिफ्ट
लेने की आशा में सड़क के किनारे-किनारे चलने
लगा।
रात अँधेरी और तूफानी थी।
पानी झमाझम बरस रहा था।
जल्दी ही वह पूरी तरह भीग गया और काँपने
लगा।
उसे कोई कार नहीं मिली और पानी इतनी तेज
बरस रहा था कि कुछ मीटर दूर की चीजें
भी नहीं दिखाई दे रही थीं।
तभी उसने एक कार को अपनी तरफ आते
देखा जो उससे पास आकर धीरे हो गई।
लड़के ने आव देखा न ताव, झट से कार
का पिछला दरवाजा खोला और अंदर कूद गया।
जब वह अपने मददगार को धन्यवाद देने के
लिए आगे झुका तो उसके होश उड़ गए
क्योंकि ड्राइवर की सीट खाली थी।
आगे की सीट खाली और इंजन की आवाज़ न
होने के बावजूद भी कार सड़क पर चल रही थी।
लड़के ने तभी आगे सड़क पर एक मोड़ देखा।
अपनी मौत नजदीक
देख वह लड़का जोर-जोर से भगवान को याद
करने लगा।
तभी खिड़की से एक हाथ आया और उसने
कार के स्टीयरिंग व्हील को मोड़ दिया। कार
मोड़ से सकुशल आगे बढ़ गई।
लड़का बुरी तरह भयभीत हो कर
देखता रहा कि कैसे हर मोड़ पर खिड़की से एक
हाथ अंदर आता और स्टीयरिंग व्हील को मोड़
देता।
आखिरकार उस लड़के को कुछ दूरी पर
रोशनी दिखाई दी।
लड़का झट से दरवाजा खोल कर नीचे
कूदा और सरपट रोशनी की तरफ दौड़ा।
यह एक छोटा सा कस्बा था। वह सीधा एक
ढाबे में रुका और पीने को पानी माँगा।
फिर वह बुरी तरह रोने लगा।
थोड़ी देर बाद सामान्य होने पर उसने
अपनी भयानक कहानी सुनानी शुरु की।
ढाबे में सन्नाटा छा गया कि तभी..................
संता और बंता ढाबे में पहुँचे और संता लड़के
की तरफ इशारा करके बंता से बोला कि अरे
यही वह बेवकूफ लड़का है ना जो हमारी कार में
कूदा था जब हम कार को धक्का लगा रहे थे।